तुलसीकाननं यत्र यत्र पद्मवनानि च पुराणपठनं यत्र त्र संनिहितो हरिः
तुलसीकाननं यत्र यत्र पद्मवनानि च ।
पुराणपठनं यत्र त्र संनिहितो हरिः ।। क. पुराणकथाङ्कः, पृ ३४
जहां तुलसी का सघन वन हो, जहां कमल पुष्पों की बहुतायत हो,
जहां पुराणों का पाठ होता हो, वहां भगवान का वास रहता है ।