एक शब्दः सुप्रयुक्तः सम्यग्ज्ञातः स्वर्गे लोके कामधुग्भवति ।
महाभाष्यम्, प्रथम आह्निक
एक ही शब्द यदि सुप्रयुक्त हो, सम्यक् रीती से ज्ञात हो तो वह इस
लोक और परलोक में मनोकामना पूर्ण करने वाला कामधेनु होता है ।