श्रुतिस्मृतिपुराणैश्च स्तुता कल्याणदायिनी ।
व्यवहारात्मिका पुण्या आदिमा सैव संस्कृतिः ।।
क. हिन्दू संस्कृति अंक, पृ. ६१९
जो सब को कल्याण प्रदान करने वाली,
परम पवित्र पुण्यदायी और व्यावहारिक है,
वही परम्परागत आदिम संस्कृति है ।