काव्यं यशसेऽर्थकृते व्यवहारविदे शिवेतरक्षतये ।
सद्यः परनिर्वृतये कांतासम्मिततयोपदेशयुजे ।।
काव्यप्रकाशः १/२
यश की प्राप्ति, संपत्ति लाभ, व्यावहारिक ज्ञान की शिक्षा, अमंगल नाश,
शीघ्र ही आनन्द की अनुभूति और प्रिया स्त्री के समान मनभावन उपदेश
देना काव्य का प्रयोजन है ।