इतिहासः कुशाभासः सूकरास्यो महोदरः ।
अक्षसूत्रं घटं विभ्रत्पंकजाभरणान्वितः ।।
विश्व की काल यात्रा पृ.- १९७
भारत की युगयुगीन कालगणना के अनुसार वर्तमान में श्वेतवाराह कल्प प्रचलित है,
अतः इतिहास पुरुष के व्यक्तित्व की उद्भावना में इतिहास पुरुष वराह-मुख है ।
काल का विपुल प्रवाह उनके उदर में समाहित होने से यह महोदर है । पृथ्वी के
रंग-रूप की छटा, कुशा की भांति आभासित होने के कारण यह कुशाभास हैं ।
यह काल का संख्यात्मक निर्देशक है, अतः इनके एक हाथ में अक्ष-सूत्र है ।
ज्ञानामृत का दान ही इतिहास पुरुष का अनुपम विग्रह सौन्दर्य, विकास और
आनन्द के प्रतीक कमल पुष्पों के आभूषणों से विभूषित है ।