पदाहतं सदुत्थाय मूर्धानमधिरोहति स्वस्थादेवाबमानेपि देहिनस्वद्वरं रज: पदाहतं सदुत्थाय मूर्धानमधिरोहति । स्वस्थादेवाबमानेपि देहिनस्वद्वरं रज: ।। जो पैरोंसे कुचलने पर भी उपर उठता है ऐसा मिट्टी का कण अपमान किए जाने पर भी चुप बैठनेवाले व्यक्तिसे श्रेष्ठ है ।