जम्मं दुक्खं जरा दक्खं, रोगा य मरणाणि य। अहो दुक्खो हु संसारो, जत्थ कीसन्ति जंतवो।। जम्मं दुक्खं जरा दक्खं, रोगा य मरणाणि य। अहो दुक्खो हु संसारो, जत्थ कीसन्ति जंतवो।। जन्म दुःखं, जरा दुःखं रोगाश्च मरणानि च। अहो दुःख खलु संसारः, यत्र क्लिश्यन्ति जन्तवः।।