करोति काव्यं प्रायेण संस्कृतात्मा यथा तथा ।
पठितुं वेत्ति स परं यस्य सिद्धा सरस्वती ।।
काव्य मीमांसा, अ. ७,पृ.२७
काव्य की रचना तो संस्कार प्राप्त आत्मा वाला कवि कर सकता है,
परन्तु काव्य का पाठ तो वही कर सकता है, जिसे सरस्वती सिद्ध हो ।