५. परियोजना का उद्देश्य
“संस्कृतविश्वम् जालपत्र (website) निर्माण परियोजना” एक बहुद्देशीय परियोजना हैं। इस के अध्ययन का क्षेत्र सम्पूर्ण संस्कृत वाङ्मय होगा। उसके अन्तर्गत वैदिक वाङ्मय से लेकर लघु कथाओं तक संस्कृत साहित्य समाहित किया जायेगा। वो चाहे पाठ्यरूप में हो दृश्यरूप में हो या श्रव्यरूप में हो, सबका सङ्ग्रह यहाँ पर होगा और इसका उपभोक्ता हमारी युवा पीढी होगी। निश्चित रूप से यह परियोजना अति विस्तृत हैं, किन्तु चरणबद्ध कार्यक्रम द्वारा यह साकार रूप लेगी। परियोजना सफल संचालन हेतु इसे चार चरणों में विभक्त किया गया हैं।
प्रथम चरण –
अब तक अन्तर्जाल (Internet) में जो संस्कृत के विषय का अथवा संस्कृत से सम्बद्ध जो कुछ भी पाठ्य (PDF, open file आदि), श्रव्य (Audio), दृश्य (Video) हैं उनका सङ्ग्रह करेंगे और उनको यहाँ जालपत्र (website) पर प्रयोक्ता (user) की सरलता के लिए व्यवस्थित रूप से उपस्थापित करने का प्रयास करेंगे। इससे हमें एक दृष्टि मिलेगी कि संस्कृत के कितने विषय अन्तर्जाल (Internet) में उपलब्ध हैं और कितने शेष हैं।
इसके साथ ही वैसे कुछ संस्कृत के विषय जो संस्कृत अनुरागियों और भारतीय संस्कृति के प्रेमियों के लिए आवश्यक हैं किन्तु अभी तक अन्तर्जाल (Internet) पर कही पर भी उपलब्ध नही हैं उन विषयों को भी प्रयत्न पूर्वक सृजित कर यहाँ पर उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे, जैसे संस्कृत-ध्वनयः (ring tone), संस्कृत-सन्देशः (SMS, greetings), संस्कृत-हास्यकणाः (Jokes), संस्कृत-नामावली (Baby Names), व्यावहारिक-शब्दकोशः (Practical Dictionary), चित्रपदकोशः (Pictorial Dictionary) आदि का संग्रहण इसी चरण में रहेगा। इसके साथ हर एक स्तर का पाठ्यक्रम, संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची एवं परिचय विवरण, संस्कृत प्रतियोगिताओं की सूचना एवं उनकी सज्जता हेतु तन्त्रांश (software) की व्यवस्था, संस्कृत ग्रन्थप्रकाशकों की सूची, समाचार पत्रों में जो संस्कृत सम्बन्धी समाचार आतें हैं उनकी प्रस्तुति, संस्कृत संस्थाओं की सूची एवं परिचय विवरण आदि विषयों की भी यहाँ उपलब्ध करायेंगे और विषेशतः प्रमुख पुस्तकों का परिचय भी इस चरण में दिया जाएगा। यह हमारा प्रथम चरण हैं और द्वितीय चरण का आधार भी।
द्वितीय चरण –
द्वितीय चरण में जो विषय अन्तर्जाल में कहीं पर भी उपलब्ध नही हैं और संस्कृत विषय की दृष्टि से अतीव आवश्यक हैं उनका सङ्ग्रह करना और उन्हे इस जालपत्र (website) पर व्यवस्थित रूप से रखने की योजना हैं। इस के लिए देश में विद्यमान प्रमुख विश्वविद्यालयों में और प्रमुख ग्रन्थालयों में जा कर वहाँ सङ्ग्रहित साहित्य को व्यवस्थित रूप से इस जालपत्र (website) में रखने का प्रयास करेंगे और इस चरण में अणुपुस्तकालय के सभी पुस्तकों का परिचय भी देंगे।
तृतीय चरण –
तृतीय चरण पर हम सङ्ग्रहित सभी साहित्यों की open file को उपयोक्ता को दिलाने का प्रयास करेंगे जिससे उपयोक्ता उन ग्रन्थों को सुलभ रूप से पाकर उनका विविध उपयोग कर सकेंगे। इस तरह इस चरण में हर एक ग्रन्थ की PDF प्रति और open file तथा htm file (read online) उपलब्ध कराने का प्रयत्न रहेगा। इसके साथ साथ ही हम सभी श्रव्य (audio) साहित्य और दृश्य (video) साहित्य की लिखित प्रति उपलब्ध करायेंगे और सभी पुस्तकों के श्रव्य (audio) प्रति का निर्माण करेंगे।
साथ-साथ इस चरण में संस्कृत वाङ्मय के जो दुर्लभ ग्रन्थ और पाण्डुलिपि रूप में विद्यमान महत्वपूर्ण साहित्यों की scanned प्रति को उपलब्ध करायेंगे। इसके साथ ही इस जालपत्र (website) का संस्कृतेतर कुछ भारतीय भाषाओं में और प्रमुख वैदेशिक भाषाओं में भी भाषान्तरण करने का प्रयास करेंगे।
चतुर्थ चरण –
चतुर्थ चरण में विषेश रूप से दृश्य साहित्य पर ध्यान देंगे। बच्चों के लिए रामायण, हनूमान आदि animation चलचित्र का संस्कृत में भाषान्तरण करने का प्रयास करेंगे। संस्कृत के सभी नाटकों को दृश्यरूप मे प्रस्तुत करने का प्रयास रहेगा। प्रसिद्ध चलचित्रों (films) का संस्कृत में भाषान्तरण करने का प्रयास करेंगे। Print & Electronic Media को संस्कृत के रूप में उपलब्ध करवाने की योजना हैं और सारी भारतीय भाषाओं में इस जालपत्र का भाषान्तरण करने का प्रयास करेंगे।
शोध प्रक्रिया – इसी चरण में मूल ग्रन्थों एवं भाष्यों की परिशुद्धता हेतु विविध संस्करणों का तुलनात्मक अध्ययन किया जायेगा। विशेषतः वेदमन्त्रों को अपलोड करते हुए उनकी शाखा एवं परम्परा को महत्त्व दिया जायेगा। इस हेतु विभिन्न परम्पराओं के प्रामाणिकों से सम्पर्क किया जायेगा तथा सर्वथा परिशुद्ध सामग्री को जालपत्र (website) पर स्थान दिया जायेगा। इस परियोजना में विविध शाखाओं के अनुसार मन्त्रों का सस्वर पाठ भी उपलब्ध होगा। इस तरह पूर्णतः परिशुद्ध एवं तुलनात्मक अध्ययनोपरान्त निष्कर्षित सामग्री ही जालपत्र (website) पर उपलब्ध रहेगी।
6. परियोजना की कालावधि
अभी तक तो परियोजना प्रथम चरण के आरम्भिक स्तर में हैं। इस चरण का पूर्ति के लिए एक वर्ष का कालावधि आवश्यक हैं। उस योजना के अनुसार प्रथम चरण त्रैमासिक कालावधि की दृष्टि से चार विभाग में विभक्त होता हैं।
प्रथम त्रैमासिक – अबतक अन्तर्जाल (Internet) में जो संस्कृत के विषय का अथवा संस्कृत से सम्बद्ध जो कुछ भी पाठ्य (PDF, open file आदि) श्रव्य (Audio) दृश्य (Video) हैं उनका सङ्ग्रह करना और उनको प्रयोक्ता (user) की सरलता के लिए जो व्यवस्थित विभाग चाहिए उस रूप से उपस्थापित करेंगे। यह जालपत्र (website) हमारी योजना की अनुसार कार्य निर्वाह करने में सक्षम हो ऐसा जालपत्र (website) नये तरीके से बनवायेंगे। इस कालावधि का प्रमुख कार्य हैं।
द्वितीय त्रैमासिक – इस कालावधि में वैसे कुछ संस्कृत के विषय जो संस्कृत अनुरागियों और भारतीय संस्कृति के इच्छुक प्रयोक्ताओं के लिए आवश्यक हैं किन्तु अभी तक अन्तर्जाल (Internet) पर कही पर भी उपलब्ध नही हैं उन विषयों की भी प्रयत्न पूर्वक सर्जना करेंगे, जैसे संस्कृत-ध्वनयः (ring tone), संस्कृत-सन्देशः (SMS, greetings), संस्कृत-हास्यकणाः (Jokes), संस्कृत-नामावली, व्यावहाँरिक शब्दकोश, चित्रपदकोश आदि का संग्रहण।
तृतीय त्रैमासिक – इस कालावधि में हर एक स्तर का पाठ्यक्रम, संस्कृत विश्वविद्यालयों की सूची एवं परिचय विवरण, संस्कृत प्रतियोगितओं की सूचना एवं उनकी सज्जता करने हेतु तन्त्रांश (software) की व्यवस्था उपलब्धि यहाँ करायेंगे। और विषेशतः प्रमुख पुस्तकों का परिचय भी इस चरण में दिया जाएगा।
चतुर्थ त्रैमासिक – इस कालावधि में संस्कृत ग्रन्थप्रकाशकों की सूची, समाचार पत्रों में जो संस्कृत सम्बन्धी समाचार आतें हैं उनकी प्रस्तुति, संस्कृत संस्थाओं की सूची एवं परिचय विवरण, संस्कृत पत्रिकाओं की सूची एवं परिचय विवरण आदि विषयों को उपलब्ध करायेंगे। तथा अबतक सङ्गृहित विषय वस्तुओं को जालपत्र (website) व्यवस्थित रूप में उपस्थापित करेंगे। जिससे प्रयोक्ता सुलभ रूप से जालपत्र में विद्यमान समग्र विषय को देख सके और लाभान्वित सके।
इस जालपत्र की आज की स्थिति – इस परियोजना में आज की स्थिति तो केवल ५ प्रतिशत हैं। अणुपुस्तकालय के अन्तर्गत लगभग १००० पुस्तकें यहाँ पर स्थापित हैं जब की अन्तर्जाल (internet) में लगभग ८०,००० पुस्तकें उपलब्ध हैं। ऐसी ही स्थिति दृश्य (video) और श्रव्य (audio) सङ्ग्रहों की भी हैं। और संस्कृत संस्था, विश्वविद्यालय, वृत्तपत्र आदि विभाग में तो केवल प्रत्येक शीर्षक में कुछ न कुछ विषय स्थापित करने का प्रयास किया हैं।
अन्तर्जाल (Internet) पर यह जालपत्र (website) निर्माणाधीन जैसा दीख रहा हैं वास्तव में यह जालपत्र (website) हमारी योजना की अनुसार कार्य निर्वाह करने में सक्षम नही हो पा रही हैं। इसलिए इस जालपत्र (website) को नये तरीके से बनवाना होगा।